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शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। बच्चों के जीवन में असली सीख तब आती है, जब वे उसे महसूस करते हैं, जीते हैं और साझा करते हैं। यही काम थिएटर करता है।
“Theatre in Education” यानी “शिक्षा में थिएटर” वह सेतु है जो बच्चों को ज्ञान से जोड़ता ही नहीं, बल्कि उन्हें जीवन को समझने और महसूस करने की क्षमता देता है।
इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए “नटराज जूनियर स्कूल” में इस गतिविधि की शुरुआत की है। जहां पर विद्यार्थी पढ़ने के साथ–साथ भावनात्मक रूप से भी सक्षम हो सके।
थिएटर: सीखने का नया रास्ता
थिएटर बच्चों के लिए सिर्फ मंच नहीं, बल्कि सीखने की प्रयोगशाला है। नटराज जूनियर स्कूल में हम नियमित रूप से छोटे-छोटे नाटकों, रोल-प्ले और इमप्रोवाइजेशन एक्टिविटीज़ करवाते हैं। यहाँ बच्चा किसी किरदार को निभाते हुए समाज, इतिहास और नैतिक मूल्यों को गहराई से समझता है। क्लासरूम में जो बातें किताबों से नहीं सीखी जा सकतीं, वह मंच पर अभिनय करते हुए आसानी से आत्मसात हो जाती हैं। थिएटर उन्हें सोचने, संवाद करने और सहयोग से काम करने की कला सिखाता है।
एक थिएटर टीचर का अनुभव: मंच से कक्षा तक
एक थिएटर टीचर के रूप में मुझे महसूस हुआ कि असली शिक्षा मंच पर मिलती है। जब कोई बच्चा पहली बार मंच पर बोलता है, तो वह केवल संवाद नहीं, अपने भीतर का डर तोड़ता है। जो बच्चे चुप रहते हैं, वे अभिनय के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करना सीखते हैं। थिएटर सिखाने का अर्थ है – बच्चों को अभिव्यक्ति की आज़ादी देना।
क्यों ज़रूरी है थिएटर सिखाना
आज के दौर में बच्चों को केवल जानकारी नहीं, बल्कि ‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता’ चाहिए — यानी empathy।
जब वे किसी किरदार की जगह खुद को रखते हैं, तो दूसरों की भावनाओं को समझते हैं। थिएटर उन्हें बेहतर इंसान बनाता है —जो सिर्फ सोचते नहीं, बल्कि महसूस भी करते हैं।
थिएटर: सोचने, बोलने और महसूस करने की ताकत
थिएटर बच्चों को अपनी सोच को शब्दों में बदलना सिखाता है। वह आत्मविश्वास से बोलना और खुलकर अपनी भावनाएँ साझा करना सीखते हैं। हर नाटक के पीछे एक विचार होता है — और हर बच्चा उस विचार का वाहक बनता है। यही प्रक्रिया उन्हें एक संवेदनशील, कल्पनाशील और अभिव्यक्तिपूर्ण व्यक्ति बनाती है।
थिएटर उन्हें सिखाता है कि सीखना केवल किताबों से नहीं, बल्कि ‘अनुभवों से भी होता है।’ यही वह शक्ति है जो शिक्षा को मानवीय बनाती है।
“Theatre in Education” सिर्फ एक अतिरिक्त गतिविधि नहीं है, बल्कि बच्चों की शिक्षा का जीवंत हृदय है। यह उन्हें केवल जानकारी नहीं देता, बल्कि सोचने, महसूस करने और अभिव्यक्त होने की शक्ति देता है। नटराज जूनियर स्कूल में हम थिएटर के माध्यम से बच्चों को मंच पर अनुभव करने का अवसर देते हैं — जहाँ वे सिर्फ अच्छे विद्यार्थी नहीं, बल्कि संवेदनशील, रचनात्मक और जिम्मेदार इंसान बन सके।
अगस्त्य हार्दिक नागदा